कहने का मतलब यह है की अगर आप वालमीकि रामायण पड़ते है और फिर तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस पढ़ते हैं तो दोनों की कहानी में आपको बहुत अंतर दिखेगा। अब बात यह आती है की रामायण तो एक ही बार हुआ था फिर दो अलग कहानियां कहाँ से आ गयी ?
अगर हमारे सामने दो कहानी है तो इसका मतलब उसमे एक कहानी सही है और दूसरी गलत है। फिर उसमे कौन सही है और कौन गलत , ये कैसे पता चलेगा ?
ये बात हमें Rahul Arya के माध्यम से पता चली। राहुल भाई YouTube पर videos बनाते हैं। उनके Channel का नाम Thanks Bharat है। राहुल भाई का कहना है की तुलसीदास तो आज से 500 साल पहले हुए थे , लेकिन महर्षि वालमीकि आज से 9 लाख साल पहले भगवान् श्री राम के युग में थे। इस हिसाब से हमे महर्षि वालमीकि को ही सही मानना चाहिए।
महर्षि वालमीकि ने अपने आँखों के सामने रामायण देखा था। लेकिन तुलसीदास ने केवल अपने मन से सब कुछ लिख दिया। अगर आपको विश्वास नहीं हो तो आप दोनों ही रामायण को पद कर देख सकते हैं। तुलसीदास द्वारा रची रामचरितमानस स्थानीय भाषा में लिखी हुई है। इसलिए अगर कभी आप रामायण की कथा घर में करवाते हैं तो वो लोग रामचरितमानस ही लेकर आते है। उन पंडित लोगो को संस्कृत का ज्ञान नहीं है। वालमीकि रामायण संस्कृत भाषा में लिखी हुई है। इसलये पंडित लोग वालमीकि रामायण नहीं पड़ते हैं।
बचपन से हम टीवी में रामानंद सागर का रामायण सीरियल देखते आ रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है , वो रामायण भी तुलसीदास की रामायण को पद कर बनायीं गयी है। और उसमे भी बहुत कुछ गलत दिखाया गया है। इन सभी बातों को सिद्ध करने के लिए राहुल आर्य ने रामायण से संस्कृत के दोहों को पढ़ा और उसका हिंदी अनुवाद भी बताया। आप किसी भी संस्कृत के ज्ञानी से दोनों रामायण पढ़वाकर इस बात की पुष्टि कर सकते हैं।
बेहतर होगा की आप खुद भी संस्कृत सिख लीजे और अपने बच्चों को सिखाईये। क्यूंकि हिंदी के वेद एवं अन्य धर्म ग्रन्थ संस्कृत में लिखे हुए है।
Comment करके आप हमे जरूर बताईये की आप किसपर भरोसा करते हैं - तुलसीदास के रामायण पर या महर्षि वालमीकि के रामायण पर।
हे परम् ज्ञानी भाई तुलसीदास ने कुछ झुठ नहीं लिखा उन्होने रामायण लिखी हैं वो सिर्फ राम भक्ति द्साने के लिए काव्य लिखा है मतलब कवीता लिखी हैं जिसमें गुण- गुणा किया गया हैं राम जी
ReplyDeleteउन्होने भक्ति-भाव लिखा उन्होने महर्षि वालमीकि से हि लग-भग सभी पात्र लिए हैं
हे ज्ञानी पुरुष आपको जब ये पता हि नहीं होगा तो इसमें सनातन धर्म की कोई गलती नहीं हैं
रही बात राहुल आर्य की तो उन्हे भी ये पता हैं परन्तु जब तक वो धुमा फिरा कर नहीं बोलगें तो
तुम्हारे जैसे महान ज्ञानीयों की फोज कैसे खड़ी करेगें वो लोग
तुलसीदास जी ने भक्ति भाव प्रकट किया हैं
आप के ज्ञानी परुष राहुल आर्य और अन्य इस चिज का बाहना लगा कर वो
वाल्मीकि रामायण मैं जो राम पुजा और भगवान का अवतार और हनुमान उड़कर जाना ये सब लिखा हैं
ये आपके (राहुल आर्य ) और आर्यसमाजीयों को हटाना था इसलिएँ एक बाहाना सोचा और वो बाहना (तुलसीदास रामायण)
मिलगया क्योंकि तुम्होरे जैसे ज्ञानी पुरुषओ को महर्षि वालमीकि और तुलसीदास रामायण ये दोनो अलग हैं
ये आपको पता ही नहीं आप लोगो को बताया गया की महर्षि वालमीकि रामायण मिलावट कर दिया गया हैं
अरे ज्ञानी पुरुषो वो अलग रामायण हैं वो भक्ति-भाव प्रकट किया हैं वो काव्य हैं तुलसीदास जी की
उन्होने भी महर्षि वालमीकि से पात्र लिए काफि हद तक कुछ बातो को छोड़-कर
परन्तु ज्ञानीयों को भगवान अवतार नही लेते ये सिद्द करना हैं वो किसी भी हद तक जा सकते हैं
वो कहते हैं हनुमान जी बन्दर नहीं थे सवाल ये उठता हैं कि जब सब जानते हैं कि कहीं पर भी हनुमान जी को बन्दर नहीं कहाँ
वो वानर हैं ना कि बन्दर हैं
परन्तु आर्यसमाजीयो के ज्ञानी पुरुषो को आप जैसे ज्ञानी चाहिएँ थे इसलिए वो बात को धुमा-धुमा कर कहते हैं
जिससे आर्यसमाज में ज्ञानीयों कि बाढ़ आ जाएँ
मानना पड़ेगा आर्यसमाजीयों के ज्ञानी पुरुषो को( रामरहीम, आसाराम,रामपाल ) ये सब सरकारों और मिड़ीयाँ व्यपारियों
के द्वार खड़े किएँ जाते हैं और रुपएँ और वोट लेने के बाद उनको गिरा दिया जाता हैं
आप जैसे आर्यसमाजी ज्ञानी लोग इसका फायदा उठाकर सनातन धर्म पर कटाक्ष करते हैं
फिर आप जैसे ज्ञानी लोग उनके साथ हो लेते हैं
मानना पड़ेगा आर्यसमाजीयों क्या जाल फैका हैं
परन्तु एक बात कह देता हुँ सनातन धर्म को कोई मिटा नहीं सकता हैं चाहे 100-2 पंथ खड़े हो जाएँ आर्यसमाजीयों की तरह
खुद मिट जाएँगें साथ मैं हम भी परन्तु
आदि शंकरर्चाय जी की पंरपरा को वो हिला भी नहीं पाएगेँ
Bilkul Sahi.... good
DeleteRight brother ... Rahul aarya to chutiya se jyada kuch nhi h .. Jay shri ram
DeleteRight brother ... Rahul aarya to chutiya se jyada kuch nhi h .. Jay shri ram
DeleteRight brother ... Rahul aarya to chutiya se jyada kuch nhi h .. Jay shri ram
Deleteवाह वाह आपने बिल्कुल ठीक कहा आजकल लोग संत तुलसीदास जी और वाल्मीकि जी से भी अधिक योग्य बनने निकले हैं
Deleteराहुल आर्य यूट्यूब पर पैसा कमाने के लिए तुम जैसे बेवकूफ लोगों को ढूंढता है वो क्या जाने हिंदू धर्म क्या होता है और तुलसीदास जी कौन थे वह एक महान जूतिया से ज्यादा कुछ नहीं है
DeleteYe bataiye manas me ye kyu likha h ki shri ram pratidin shikar pr jate t
Deleteमैंने तो रामचरितमानस ही पढ़ी है लेकिन उसमे गलत कुछ भी नहीं है आर्य लोग तो हिन्दुओं को भी नहीं मानते इसलिए ये आगे चलकर वायरस का काम ही करेंगे सिया वर रामचंद्र की जय
ReplyDeleteYe bataiye manas me ye kyu likha h ki shri ram pratidin shikar pr jate the
Deletevalmiki ramayan pad raha hu dusra khand purn honey vala he. Tulsi rachit ram har itna manas bhi padi hei. valmiki ramayan satay ke karib hei tulsi das ji ne apni athah rambhaki ko ramcharit manas me utara hai.
ReplyDeleteRahul arya bevkoopho, gadho,nerbuddhi,logo ko ved aor maharisiyano ke gyaan ka matlab bata rahe hai
ReplyDeletebilkul sahi bhaiyo ye rahul arya he jo mindly disturb ho gaya mental hospital le jana padega .
ReplyDelete.jay shri ram
बिल्कुल सही कहा आपने वह एक चुतियां से ज्यादा कुछ नहीं है
DeleteSach karwa hota hai... ..
ReplyDeleteTulsi dwura likhi ramayan akhbar ke dabaw mai likhi gyi hai ye sach hai esme kayi bate jhooti hai jaise sita ne agniparisha di ram ne sita ko chhod diya kyunki akber jis dharm ko manta hai wo orato ki ijjat ni karta kai bate jo Jan bujh ker jodi gyi hai
ReplyDelete.
Tulsi ki likhi ramayan ko hi log ramayan samajh bethe hai kyunki TV per bhi yahi dikhye jati hai jo jhoot hai
ReplyDeleteराहुल आर्य और आर्य समाझ से बड़ा मूर्ख मेने आज तक नहीं देखे । वो मूर्ख लोग भगवान् श्री कृष्ण को भगवन भी नहीं मानते जबकि भगवन श्री कृष्ण ने गीता में साफ़ ऐसे लोगो को मूर्ख कहा है। अगर यह तर्क में हारने लग जाए तो दूसरों को कहेंगे तुमने मिलावट वाली किताबे पड़ी है ।
ReplyDeletebilkul sahi rahul arya kay sidh karna chahta h use khud bhi nahi malum . aimless h vo sirf alaghat kar bolana ke chakkar me pagla gya h
ReplyDeleteHaan ran*i ka bacha
Deleteबात सही और गलत तय करने की नहीं है, बात तो हमारी समझ की है .मैं केवल दो तीन लाइनों में अपनी बात रखने की कोशिश करता हूं .
ReplyDeleteपहली बात हमें यह जो जीवन मिला है, नर रूप में है .नर से मेरा आशय स्त्री-पुरुष दोनों .
तो मित्रों हमारी जीवन यात्रा
नर से नारायण की है.
हमारी यात्रा नर से नारायण की है ,तो हमारा नर का जो स्वर है ,उस स्वर की यात्रा रामायण की.
अर्थात,
नर बने नारायण ,
और
स्वर बने रामायण.
जय सियाराम
Bsdko saala jiski yeh website hai vo katwa hoga
ReplyDeleteMkc tulsidas ko jhootha bta rha hai
Saala jyada rai dene wala ban rha hai bsdwala
Pyare bhaiyo please abhadra bhasha ka upyog mat kare.maine khud laxman rekha ka valmiki ramayan me pada hai, usme kuch laxman rekha ka ullekh nahi hai.ek baat aapko dhyan rakhni chahiye valmiki ji ne khud ramayan likhi aur tulsidasji ne kareeb 300 ramayano ko milakar ramayan likhi.kripya khud jaane ki koshish kare dusro ke shabdo ko mat maane. Jai shri ram.
ReplyDelete